पर्यावरण संरक्षण के लिए किशोरपुरा में पेड़ वितरण मुहिम
उधपुरवाटी तहसील के किशोरपुरा ग्राम पंचायत में एक महत्वाकांक्षी पेड़ वितरण मुहिम चलाई जा रही है, जिसका नेतृत्व भामाशाह सुमेर जी सैनी कर रहे हैं। वे अपने पिता श्री गोकुल जी सैनी के नाम से इस पहल को प्रभावी ढंग से चला रहे हैं। इस मुहिम के तहत करीब 15,000 से अधिक पौधे विभिन्न किस्मों में निशुल्क ग्रामीणों को प्रदान किए जा रहे हैं।
मिशन हरियाली और पर्यावरण शुद्धता
सुमेर जी की योजना किशोरपुरा सहित कुल आठ गांवों में पेड़ों का वितरण कर वहां की हरियाली बढ़ाने की है। उनके अनुसार पेड़ों की वजह से वातावरण शुद्ध होगा, औषधीय गुण बढ़ेंगे, और वर्षा भी बेहतर होगी। पेड़ लगाने के बाद उनकी देखभाल भी जिम्मेदारी के साथ की जा रही है ताकि ये सफलतापूर्वक बढ़ सकें।
पेड़ों की विविधता और वितरण प्रक्रिया
मुहिम में चीकू, अमरूद, नींबू, मौसमी, केनू समेत सात किस्मों के पौधे शामिल हैं। ये पेड़ आंध्र प्रदेश और सोलन जैसे दूर-दराज़ के क्षेत्रों से जुटाए गए हैं। पेड़ों का वितरण निशुल्क है और एक राशन कार्ड पर अधिकतम चार पेड़ दिए जा रहे हैं। वितरण के बाद विशेषज्ञ कृषि कर्मचारी पौधों की निगरानी के लिए गांवों का लगातार दौरा करते हैं।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी और प्रतिबद्धता
ग्रामीणों में भी इस पहल को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। पहले के लगाए गए पौधे अभी भी जीवित और बेहतर स्थिति में हैं। गांववालों ने पेड़ों की देखभाल की जिम्मेदारी ली है। पौधा लगाने के बाद दवाई और संरक्षण के लिए विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन भी दिया जाता है।
सुमेर जी की अन्य सामाजिक गतिविधियां
पेड़ वितरण के अलावा सुमेर जी ने गांव के विकास के लिए खेल मैदान, जल आपूर्ति, शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे मानते हैं कि गांव की प्रगति में हरियाली की भूमिका अहम है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए संदेश
सुमेर जी और उनकी संस्था का कहना है कि पेड़ लगाना न केवल एक सामाजिक ज़िम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण को साफ और स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। इस मुहिम के माध्यम से वे सभी ग्रामीणों, अन्य गांव के लोगों और समुदायों से अपील करते हैं कि वे इस पहल को अपनाएं और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें।
निष्कर्ष
किशोरपुरा ग्राम पंचायत में भामाशाह सुमेर जी की पहल ने यह साबित कर दिया है कि सामूहिक प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण संभव है। यह मुहिम एक सफल मॉडल के रूप में सामने आई है, जो अन्य क्षेत्रों को भी प्रेरित कर सकती है। पेड़ लगाकर हम न केवल अपनी धरती को हरा-भरा बनाते हैं, बल्कि अपने आने वाली पीढ़ी के लिए भी एक स्वस्थ वातावरण की नींव रख रहे हैं।
जय हिंद, जय पृथ्वी।
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