प्रमुख तथ्य
राजस्थान के माधवगढ़ ग्राम पंचायत में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। एक परिवार का आरोप है कि उनके 60 वर्षों से कब्जे वाली जमीन से उन्हें बिना उचित नोटिस के बेदखल कर दिया गया।
परिवार का पक्ष
प्रभावित परिवार का कहना है कि उनके पास लगभग 60-65 वर्षों से जमीन का कब्जा था। उनके अनुसार, ग्राम पंचायत ने दो बार नोटिस दिया, जिसका उन्होंने जवाब भी दिया, लेकिन तीसरी बार बिना किसी नोटिस के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर दी गई। परिवार ने इस कार्रवाई से लगभग 4-5 लाख रुपये के नुकसान का दावा किया है।
सरपंच का पक्ष
ग्राम पंचायत के सरपंच यश कुमार का कहना है कि की गई कार्रवाई पूर्णतः नियमानुसार है। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने से पहले दो नोटिस दिए गए और प्रशासन के माध्यम से सभी आवश्यक कागजी कार्रवाई की गई। सरपंच के अनुसार, वहां कोई स्थायी निवास नहीं था, केवल कच्ची दीवार और कुछ सामान रखा गया था।
प्रशासनिक कार्रवाई
विकास अधिकारी और पुलिस प्रशासन ने एक दिन पहले मौका मुआयना किया था। सरपंच के अनुसार, यह जमीन वन विभाग के अधीन नहीं है, बल्कि आबादी भूमि में कन्वर्ट की जा चुकी है, जिस पर ग्राम पंचायत का पूर्ण अधिकार है।
वर्तमान स्थिति
मामले में स्थानीय विधायक धर्मपाल जी के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई को रुकवाया गया। ग्राम पंचायत का कहना है कि वे आगे भी अवैध कब्जों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करते रहेंगे।
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